‘महाराजा’ Review: यह विजय सेतुपति की 50वीं फिल्म है। इसमें अनुराग कश्यप और ममता मोहन्दास भी हैं। निर्देशक निथिलन स्वामिनाथन ने इसे बड़ी उम्मीदों से प्रस्तुत किया है।
‘महाराजा’ विजय सेठुपति की 50वीं फिल्म है। इसे निथिलन स्वामीनाथन ने निर्देशित किया है, जिन्हें ‘कुरंगु बोम्मै’ से पहचान है। फिल्म में अनुराग कश्यप, ममता मोहंदास, अभिरामी, नटराजन, बॉय्स मणिकंदन, भारतीराजा, सिंगम्पुली, अरुलदोस, और मुनिश्कांथ जैसे कलाकार नजर आएंगे। संगीत अजनीश लोकनाथ ने संवादित किया है, जिन्हें ‘कांटारा’ में उनके काम के लिए सराहा गया है।
Storyline:
फिल्म में महाराजा (विजय सेठुपति) के चारों ओर घूमती है, जो एक साधारण नाम के खुदाई नारा है। एक साधारण जीवन जीने वाले महाराजा अपनी बेटी को बिगाड़ कर एकल पिता के रूप में उचित बनाने का प्रयास करते हैं, जब उनकी पत्नी की एक दुर्घटना में मौत हो जाती है। उनका दुनिया उनकी बेटी और उनके सैलून के आसपास घूमती है, जिसमें उनकी बेटी की जिंदगी बचाई थी, उस खास कूड़ेदान लक्ष्मी के असामान्य संलग्नता के साथ।
महाराजा के रिपोर्ट से जब उसकी प्रिय कचरा बिन की चोरी की पुलिस तक पहुंची, तो यह कहानी में रोमांचकारी और अजीब घटनाओं की श्रृंखला शुरू हुई। अनुराग कश्यप द्वारा निभाए गए खलनायक के रूप में पेश किया गया है, जो दुष्ट अपराधों के लिए जाना जाता है लेकिन अपने परिवार से गहरा रिश्ता रखता है। कचरा बिन की रहस्यमयी चोरी और इसका खलनायक से जुड़ना कहानी का मुख्य तत्व बनता है, जिसमें पितृभावना और समाजिक मुद्दे की खोज की जाती है।
Strengths of Maharaj:
Acting: विजय सेठुपति का ‘महाराजा’ में अभिनय बेहद प्रशंसनीय है, हालांकि किरदार की लेखन में गहराई की कमी होने से उसमें असर छोड़ने में कमी आती है।
Supporting Cast:
नटराजन और सिंगंपुली का काम, जो पुलिस अधिकारियों के रूप में उनकी भूमिका में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
Music: अजनीश लोकनाथ का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की गति और भावनात्मक प्रभाव को उच्चतम स्तर पर पहुंचाता है।
Weaknessesof Maharaj:
Narrative execution:
फिल्म का हास्य से गंभीर विषय की ओर बदलाव अचानक महसूस होता है। पहले हंसी मजाक का माहौल बाद में जांचे गए मुद्दों की गंभीरता को कमजोर करती है।
Character development:
अनुराग कश्यप ने विश्वासनीय अभिनय किया, लेकिन उनका किरदार, जैसे कि अन्य कई, अपूर्ण और अस्थिर महसूस होता है।
Plot realism:
मुख्य प्लॉट ट्विस्ट्स परिणामिकता की बजाय संयोजन पर अधिक निर्भर करते हैं, जो कुल प्रभाव में कमी लाते हैं।
‘महाराजा’ एक प्रयासशील कोशिश है जो गंभीर सामाजिक मुद्दों को वाणिज्यिक सिनेमा के तत्वों से मिलाकर प्रस्तुत करने की कोशिश करती है। यह हिस्सों में सफलता प्राप्त करती है, विशेष रूप से मजबूत प्रदर्शनों और रमणीय संगीत के माध्यम से। लेकिन यह एक संगत और प्रेरणादायक कथा प्रस्तुत करने में कमजोर होती है। फिल्म महत्वपूर्ण प्रश्नों को उठाती है, लेकिन कभी-कभी इसे अपने महत्वपूर्ण विषय को केवल कथा उपकरण के रूप में दर्शाने में बदल देती है, जिससे दर्शकों को अधिक गहराई और सावधानी की आवश्यकता हो सकती है। आम दर्शकों के लिए ‘महाराजा’ मनोरंजन प्रदान करती है, लेकिन जो इसके विषयों की गहराई में खोज करते हैं, वे इसमें एक सामग्री अन्वेषण में कमी महसूस कर सकते हैं।
Review:
महाराजा’ एक गंभीर विषय पर हंसी और नाटक के मिश्रण के साथ उतरती है। फिल्म को दो भिन्न भागों में बाँटा गया है – पहला भाग मज़ाकिया है, जिससे एक अद्वितीय और हल्की-फुल्की आत्मा बनाई गई है, जबकि दूसरा भाग एक अधिक गहरे और भावनात्मक कथा में डूबता है।